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आरे उतरहिं राज सओं अयलै एक नटिनियां रे जान / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आरे उतरहिं राज सओं अयलै एक नटिनियां रे जान
जान बैसि रे गेलै कदम बिरिछिया रे जान
आरे झिहिर-झिहिर बहलै शीतल बसतिया रे जान
जान घर सओं बहार भेलै सुनरी एक पुतहुआ रे जान
आरे झारय रे लगलै नामी-नामी केसिया रे जान
जान पड़ि रे गेलै नटिन के नजरिया रे जान
आरे मचिया बैसल सासू बरैतिन रे जान
जान दियौ सासू कोसल रुपैया रे जान
अइया खौखी भइया खौकी सुनरी पुतहुआ रे जान
जान कहां रे लयबै कोसल रुपैया रे जान
आरे कहाँ गेल कीये भेल सुनरी पुतहुआ रे जान
जान कौने सुन्नरि गोदना गोदेतै रे जान
आरे सबके रे तिरिया अम्मा अपने दुअरबे रे जान
जान हमरो तिरिया कहाँ चलि गेलै रे जान
आरे तोहरो तिरिया गोदना गोदाओल रे जान
जान चलि रे गेलै नटिन सिरिकिया रे जान
आरे दीअ अम्मा दीअ सेर एक सतुआ रे जान
जान हम जायब धनिक उदेसबा रे जान
आरे एक कोस गेली पियबा, दुई कोस गेलै रे जान
जान तेसरेमे नटिन सिरिकिया रे जान
आरे गोदना गोदौनी नटिनियाँ कीये लेबै दनमा रे जान
जान कीये रे लेबही दनमा बर्काससबा रे जान
आरे अइया खौकी भइया खौकी सुनरी पुतहुआ रे जान
जान लेबौ रे सासुक कोसल रुपैया रे जान
आरे गोदना गोदौनी नटिन गे कान दुनू सोनमा रे जान
जान आरो रे देबौ गनती मोहरबा रे जान