भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आर्द्रा / बुद्धिनाथ मिश्र
Kavita Kosh से
घर की मकड़ी कोने दुबकी
वर्षा होगी क्या ?
बाईं आँख दिशा की फड़की
वर्षा होगी क्या ?
सुन्नर बाभिन बंजर जोते
इन्नर राजा हो !
आँगन-आँगन छौना लोटे
इन्नर राजा हो !
कितनी बार भगत गुहराए
देवी का चौरा
भरी जवानी जरई सूखे
इन्नर राजा हो !
आगे नहीं खिसकता सूरज के
रथ का पहिया
भुइंलोटन पुरवैया चहकी
वर्षा होगी क्या ?
छाती फटी कुआँ-पोखर की
धरती पड़ी दरार
एक पपीहा तीतरपाखी
घन को रहा पुकार
चील उड़ें डैने फैलाए
जलते अम्बर में
सहमे-सहमे बाग-बगीचे
सहमे-से घर-द्वार
लाज तुम्ही रखना पियरी की
हे गंगा मैया
रेत नहा गौरैया चहकी
वर्षा होगी क्या?