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आर के लक्षमन का कोट / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
जब मुस्कुरा रहा है
अमेरिका
तो क्या मुस्कुरा रहा है
भारत भी
या लटका हुआ है
आम आदमी
खूँटी में टंगे
लक्षमन के कोट की तरह
उपेक्षित...?