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आलम में गूँजता हुआ तेरा ही नाम है / देवी नांगरानी
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आलम में गूँजता हुआ तेरा ही नाम है
तेरे बग़ैर सारा ही किस्सा तमाम है
दोनों हैं ख़ाली हाथ मेरे तेरे सामने
कुछ तो बता इलाही ये कैसा मकाम है
सूरज ने की है धूप तो, आकाश ने घटा
हम ख़ूब जानते हैं ये, तेरा ही काम है
ये दर्दो-ग़म से हमको भरा ज़हर दे दिया
हमने ख़ुशी से इसको पिया तेरा जाम है
झूठा जगत है सारा फकत साँचा एक तू
तेरे अनेक नाम मगर तू अनाम है
इन्सानियत को ताक पे रख कर ये, किस लिये
झगड़ा कोई तो ‘देवी’ यहाँ सुबहो-शाम है