भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आल्हा ऊदल / भाग 1 / भोजपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
लागल कचहरी जब आल्हा के बँगला बड़े-बड़े बबुआन
लागल कचहरी उजैनन के बिसैनन के दरबार
नौ सौ नागा नागपूर के नगफेनी बाँध तरवार
बैठल काकन डिल्ली के लोहतमियाँ तीन हजार
मढ़वर तिरौता करमवार है जिन्ह के बैठल कुम्ह चण्डाल
झड़ो उझनिया गुजहनिया है बाबू बैठल गदहियावाल
नाच करावे बँगला में मुरलिधर बेन बजाव
मुरमुर मुरमुर बाजे सरंगी जिन्ह के रुन रुन बाजे सितार
तबला चटके रस बेनन के मुखचंद सितारा लाग
नाचे पतुरिया सिंहल दीप के लौंड़ा नाचे गोआलियरवाल
तोफा नाचे बँगला के बँगला होय परी के नाच
सात मन का कुण्डी दस मन का घुटना लाग
घैला अठारह सबजी बन गैल नौ नौ गोली अफीम
चौदह बत्ती जहरन के आल्हा बत्ती चबावत बाय
पुतली फिर गैल आँखन के अँखिया भैल रकत के धार
चेहरा चमके रजवाड़ा के लड़वैया शेर जवान
अम्बर बेटा है जासर के अपना कटले बीर कटाय
जिन्ह के चलले धरती हीले डपटै गाछ झुराय
ओहि समन्तर रुदल पहुँचल बँगला में पहुँचल जाय
देखल सूरत रुदल के आल्हा मन में करे गुनान
देहिया देखें तोर धूमिल मुहवाँ देखों उदास