आल्हा / जीत नराइन
तीस जुलि ओन्नैस सन दुइ के
दस आदमी पककराइन
ओन से एगो हिमेमती मलाइ
नौ हिन्दुस्तानी पहलवान
बाकी कमिहन देखत-देखत
कटलिस लेले भैले उतारू
धिरे-धिरे कनतोरो नकचाइन
एकमत गुर्रात
कमसारस के इ आफत देख के
अक्किल सब गाड़ि में घुसे गे
बोलेे झल्दि करो प्रोकुरोउर-खेनेराल तु
हमरे मान के ना है हो
उ सारा बोले-चुप-चाप जावो काम करो
नहिंतो गोलि चलि
कमिहन बोले छोड़ दे दसो के तब फिर
देखल जाए आगे
पाँच दाईं डाँटे पे कमिहन बात ना मनले
एक्को रे
गोलि चलल चौबिस बिर मर गैन
बत्तिस बच गैन गोलि खाय
दस में से आठ के जहल सुनान
बारा बरिस जबरदस्ति काम
बसली इज्जत-बचवैयन मर गैन
नकली भरमाए के चूसत खात
धुन धुन
नालिस कर गवैहिया हम
ना धुन धुन डरान, ना धुन धुन डराई
तोरे सम्मु में मेढि बाँहल, तौने पे
झूर खट खट डरारा फटल
समाज पर तोके धियेन तो,
अपन भेस खातिर
देस खात तोर नेता
लबलोस भुच्चड़
जेबकट्टा अपन मन के थान
आइ ना धुन धुन ए ताकि
मि बेगि ना रस्ता रस्ता
जाए के मरलि ना लाँसिग्रोड
तु हमसे सरमैले
बकि कलंक तोरे पे कि, तु
जनले भी तो भूल गैले
हमलोग काहें का-का करलि
इज्जत के नाम पर खूनी हम
भलाई के नाता जोंक तोर नेता
आदमि और जानवर के फरक ना जाने
बेकम्मा होने पर अतना महँगा?
बेसरम बोले इज्जत बचाव!