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आवत देखेऊँ सासू दुई बनिजरवा हो न / अवधी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अवधी बोली में गाया जाने वाला जाता गीत है यह। इसमे पितृसत्ता का कई रूप दिखाई देता है। भारत में औरतों को अपने दुःख को छिपाने के लिए बचपन से तैयार किया जाता है। उन्हें दुःख सहने के लिए तैयार किया जाता है।

आवत देखेऊँ सासू दुई बनिजरवा हो न
सासू एक गोरा एक सांवर हो न
गोरा तो हवें सासू ननदी के भईया हो न
सासू संवरा हमरा वीरन भैया हो न
बरहे बरिसवा पे लौटें वीरन भईया हो न
सासू आजू काउ सिझई रसोइया हो न
बनाई डारा मोरी बहुअरी किनकी के भतवा हो न
बनाई डारा ताले के सगवा हो
अगिया लगाऊं सासू झींगवा के भतवा हो
सासू बरजा पड़ई ताले सगवा हो न
बनई डरबई मोरे सासू सऊँआ के भतवा हो न
सासु कुंनुरू करेला के भजिया हो न
जेवन बैठे हैं सार बहनोइया हो न
रामा भयवा के ढूरल असुइया हो न
किया तू मोहाना भईया माई के कलेउआ हो न
भैया किया तुहूँ धना के सेजरिया हो न
नहीं हम मोहाने बहिनी माई के कलेउआ हो न
बहिनी नहीं हम धना के सेजरिया हो न
बहिनी हमरो ये तोहरी बिपतिया हो न
हमारी बिपतिया भैया बान्ह्या तू गठरिया हो न
भईया जिन कहेया बाबा के अगवा हो न
बाबा सभवा बैठ पछितैइहैं हो न
हमारी बिपति भैया बन्ह्या तू गठरिया हो न
भईया जिन कहेया माई के अगवा हो न
माई छतिया बिहड़ीं मरी जैइहैं हो न
हमरी बिपति भईया बन्ह्या तू गठरिया हो न
 भईया जिन कहेया चाची के अगवा हो न
‘चाची झगडा लगायी तनवा मरिहैंई हो न
हमरा बिपति भईया बन्ह्या तू गठरिया हो न
भईया जिन कह्यया भउजी के अगवा हो न
भऊजी राम रसोइया ताना मरिहैई हो न
हमरी बिपति भईया बन्ह्या तू गठरिया हो न
जिन कह्यया बहिनी के अगवा हो न
बहिनी मोर सुनि ससुरे न जैइहैंई हो न
भईया जाई कह्यया अगुआ के अगवा हो न
रामा जे न मोर किन्ही अगुवैया हो न