उठ जागे आवर्तित
दो नीले वृत्त
सहोदर
कहते कुछ ख़ास
वे इतने पास
रंगों पर रंग चढ़े अनमने
खुल जाते याद में ठने
वे मंत्र मृत्युंजयी
त्रिभुजों के पार...
उठ जागे आवर्तित
दो नीले वृत्त
सहोदर
कहते कुछ ख़ास
वे इतने पास
रंगों पर रंग चढ़े अनमने
खुल जाते याद में ठने
वे मंत्र मृत्युंजयी
त्रिभुजों के पार...