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आवाज़ / कुमार कृष्ण
Kavita Kosh से
दोस्तों, क्या तुम जानते हो-
हर पूजा में छुपी रहती है
लालच की नन्ही-सी फाँक
जैसे पेड़ में छुपा रहता है घर
बीज में छुपे रहते हैं प्राण
मंत्र में आस्था
पृथ्वी में आग, पहाड़ में पानी
काग़ज़ में कविता और घण्टी में आवाज़
आवाज़ दुनिया का दूसरा नाम है
जब तक रहेगी पृथ्वी पर आवाज़
तब तक रहेगी दुनिया
तब तक करता रहेगा मनुष्य
युद्ध में भी प्यार।