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आवाज और खामोशी / प्रेरणा सारवान
Kavita Kosh से
काली चिड़िया की
तीक्ष्ण आवाज से
अधिक प्रखर है
उस तितली की खामोशी
जो बरसों पहले
बस चुकी थी
बचपन में ही
एक क्षण की
रिक्तता पाकर
मेरे कानों में
और
हृदय के रोम - रोम में
तितली की वो खामोशी तो
आज भी
लाखों के कौलाहल मे
नहीं टूटती
लेकिन चिड़िया की आवाज
कहाँ खो गई
कोई बता सकता है?