आवा लिखु आवरी / पँवारी

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आवा लिखु आवरी
सुआ लिखु ओ मोर
समदिन तोरा गे कारण
जाग्या सारीऽ रात
आवा लिखु ओ आवरी
सुआ लिखु ओ मोर।।
आऊर लिखु गे कारन
आऊर जाग्या सारी रात।।
आवा लिखु ओ आवरी।।
सुआ लिख ओ मोर।।
समदिन तोरा कारण
जाग्या सारी रात।।

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