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आवो सखी आवो, आरती उतारो / रसूल

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आवो सखी आवो, आरती उतारो
उमापति के, उमापति के, जगतपति के ।

अच्छत, चंदन, बेल के पाती,
घी पड़े धेनुगइया के ।
मिलीजुली-मिलीजुली आज रिझाओ ।
उमापति के, उमापति के, जगतपति के ।

भंग, धतूर के भोग लगावो,
बसहा बैल चढ़वइया के ।
आवो सखी आवो, आरती उतारो,
उमापति के, उमापति के, जगतपति के ।

कहत रसूल गले हार पेन्हाओ,
डमरू के बजवइया के ।
आवो सखी आवो, आरती उतारो,
उमापति के, उमापति के, जगतपति के ।