भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आशावादी आदमी / नाज़िम हिक़मत / कविता कृष्णापल्लवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब वह बच्‍चा था, उसने
कभी नहीं तोड़े तितलियों के पंख
बिल्लियों की पूँछ में उसने कभी नहीं बाँधे टिन के डिब्‍बे
माचिस की डिब्‍बी में नहीं बन्द किया पतंगों को
चींटियों की बाँबियों को कभी पैरों से नहीं रौंदा ।

वह बड़ा हुआ
और ये सारी चीज़े उसके साथ हुईं ।

जब वह मरा, मैं उसके बिस्‍तर के पास मौजूद था।
उसने कहा मुझे एक कविता सुनाओ
सूरज और सागर के बारे में
नाभिकीय रियेक्‍टरों और उपग्रहों के बारे में
इंसानियत की महानता के बारे में I

अँग्रेज़ी से अनुवाद : कविता कृष्णापल्लवी