भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आशा / राधेश्याम चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दाना-दाना लेॅ मुँहताज छै लोग
जोॅ एक दाना मिली जैतियै आय
जमाना समझतियै आय
लम्बा लाईन मेॅ खाड़ोॅ छियै
मतरकि काम नै बनलै आय।
बीना पैखी रोॅ कोय नै सुनैं छै
इन्दिरा आवास मिली जैतियै जोॅ आय
हमरोॅ तकदीर बदली जैतियै आय।
रौंदी आरो झैंरी सेॅ बची जैतियै परिवार आय
रोज ऑफिस रोॅ चक्कर लगावै छियै
बी.पी.एल. मेॅ नाम जुटी जैतियै आय
तील-तील जीयै आरो मरै छियै
कोय मदद करि देतियै आय
तकदीर बदली जैतियै आय।
कहिनोॅ-कहिनोॅ साहब छै
घूस दहोॅ बनी जैतौं बात आय
किरानी कहै निराशा पर आशा रोॅ पानी
फिरी जैतौं आय।