आसमां में कोई धुंधला सितारा होगा।
तलाशे भोर का जनमों से मारा होगा।
पहली नज़र पड़ते ही मिटते वज़ूद यहां,
माहौले-खौफ़ में कैसे गुज़ारा होगा!
हसरते-दीदार वाले पिटकर लौटे हैं,
कल जलसा यहां फिर कैसे दुबारा होगा!
फस्ले-बहार मांग रही है अब कुर्बानी,
मर मिटने वालों में नाम हमारा होगा!
प्यासे दम तोड़ते मिले गंगा के किनारे,
हमने सच सोचा यहां यह नज़ारा होगा!