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आसमां में कोई धुंधला सितारा होगा / सांवर दइया

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आसमां में कोई धुंधला सितारा होगा।
तलाशे भोर का जनमों से मारा होगा।

पहली नज़र पड़ते ही मिटते वज़ूद यहां,
माहौले-खौफ़ में कैसे गुज़ारा होगा!

हसरते-दीदार वाले पिटकर लौटे हैं,
कल जलसा यहां फिर कैसे दुबारा होगा!

फस्ले-बहार मांग रही है अब कुर्बानी,
मर मिटने वालों में नाम हमारा होगा!

प्यासे दम तोड़ते मिले गंगा के किनारे,
हमने सच सोचा यहां यह नज़ारा होगा!