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आसमानों की परवाज़ कर / उत्‍तमराव क्षीरसागर

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चल उठ एक नई ज़िंदगी का आगाज़ कर,
पेट खाली ही सही आसमानों की परवाज़ कर ।


मान भी ले अब यह ज़ि‍द अच्‍छी नहीं,
मि‍ल गया 'यूटोपि‍या' का रास्‍ता ये आवाज़ कर ।


लबों पे आने मत दे नाम तख्‍तो-ताज का,
बस उसको दुआ दे, 'जा राज कर ।


लाख करे कोई उजालों की बात, बहक मत,
तू फ़क़त ज़िंदा रह और ज़िंदगी पे नाज कर ।
                                                              -१९९५ ई०