आसमान देखने का ठिकाना / तुर्गुत उयार / निशान्त कौशिक
हम पल भर में पा सकते हैं ख़ुशी
इन भागती किरणों से
लहलहाते ऊख से
बच्चों के दुधमुँहे दाँतों से
सूरज से
घास की छाजन से
तो आओ देखें आसमान को
पल भर की भी देर किए बग़ैर
ख़र्च होती मेरी इन नज़रों को अपने पास महफूज़ रख लो
हरेक पुकार से ठिठक जाने वाले इन हाथों को थाम लो
इस इमारत को लाँघो
उन इमारतों को भी
और उन्हें भी
चलो देखें आसमान को
फलाँ-फलाँ कोई स्टॉप चलते हैं
चलो, देखें आसमान को
‘यहाँ बस स्टॉप है’ कहने पर
रुकेगी एक बस
और हम उसमें बैठ जाएँगे
रात की यह तीरगी कमाल है, आफ़रीन ख़ुदा !
सो गए सब, सोने दो सभी को
चोर-पुलिस, अमीर-मुफ़लिस
सोने दो सभी को
सिवाय एक तुम्हारे और एक मेरे
जब सब नामौजूद हैं, तो हमें ही मौजूद होना है
मदहोश फिरेंगे यहाँ-वहाँ, चूमते फिरेंगे एक दूजे को सड़कों पर
मुझ पर से हटाओ ये नज़रें, चलो देखें आसमान को
नहीं जानता मैं
तुम्हारे इन हाथों में क्या है
थामने भर से मज़बूत हो जाता हूँ
भरता चला जाता है कुछ भीतर-भीतर
ये क़दीम ज़माने की तुम्हारी आँखें
तन्हा हैं, दरख़्त-सी हैं
राह तकता था जिसकी वह वक़्त भी आन पड़ा
सो तुम्हें ले आया हूँ या इन ख़ौफ़नाक राहों में
तुम्हारे अनगिनत दरीचों को
मैंने एक-एक कर बन्द किया
ताकि लौट सको मेरी ओर
बन्द कर डाले सारे झरोखे
बस आती ही होगी
हम चढ़ेंगे उसमें और चल पड़ेंगे
वहाँ, जहाँ से लौटना न हो
ठहरना अब मुश्किल होगा
न कोई चारा, न कोई सहारे
काफ़ी हैं साथ में
हाथ मेरे, हाथ तुम्हारे
तुम्हें ख़ुद के लिए बचा लिया है मैंने
रुको मत, याद दिलाती रहो ख़ुद को
रुको मत, याद दिलाती रहो ख़ुद को
रुको मत, चलो देखें आसमान को
मूल तुर्की भाषा से अनुवाद : निशान्त कौशिक