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आसान नहीं होठों तक लाना बात वही / सुजीत कुमार 'पप्पू'
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आसान नहीं होठों तक लाना बात वही,
कितना मुश्किल होता है कहना बात वही।
आज नहीं कह पाए तो क्या कल कह लेंगे,
ऐसे रोज़ ख़यालों का आना बात वही।
शाम-सबेरे आते-जाते नैन लड़ाना,
यूं देख मुझे उनका शरमाना बात वही।
नाज़ो-अंदाज़ ज़ुदा है उनका क्या कहने,
धीरे-धीरे मंजुल मुस्काना बात वही।
चंदा जैसे मुखड़े पर ज़ुल्फ़ें फैलाए,
दिन को भी मावस रात बनाना बात वही।