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आसिन / ऋतु-प्रिया / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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आयल आसिन मास मनोरम
उमड़ल नव नव आश

अति मन्द मन्द बहि रहल पवन,
पवनक गति पर
हरिअर हरिअर
मृदु शस्य राशि अछि झूमि रहल
झुकि झुकि धरणिक पद चूमि रहल

से बूझि पड़य जे-
प्रकृति पहिरि
चट हरित वसन
लट पट चंचल
शंकित मन
पंकित-पथ पर पद
बढ़ि रहल निरन्तर
क्रम पर क्रम चलि रहल
दूरतर प्रियतम घर
मुख अरुणिम-प्रभ

उमड़ल अन्तर मे मधुर मधुर आनन्दक पूर्वाभास
आयल आसिन मास मनोरम उमड़ल नवनव आश
जन पुलकित मन
कय श्रद्धा सँ पितरक तर्पण
पुनि भक्तिभाव सँ तन-शिर भय
माताक चरण पर कय अर्पण
किछु भाव - सुमन

गद्गद स्वर मे अछि गाबि रहल
स्वर-लहरी पर साकांक्ष श्रवण
उत्सुक लोचन
स्मृति-पट पर अंकित, स्वर-पर्त्तन

क्यौ
‘जयजय भैरवि असुर भय उनि’
गाबि गाबि सुधि बिसरि अपन
दय ताल मधुर
अछि ठुमुकि ठुमुकि कय नाचि रहल
सुख पाबि रहल
प्रमुदित अगजग
शरदक निशि छवि जगमग जगमग
पुलकित धरणी, विकसित शतदल
उल्लास भरल आकाश
आयल आसिन मास मनोरम उमड़ल नव नव आश