Last modified on 1 मई 2022, at 00:00

आस्था - 31 / हरबिन्दर सिंह गिल

क्या मातृभूमि के नाम पर
ये नयी सीमाएँ
समाज की एक ऐसी जरूरत हैं
जिनके बिना
मानव जी नहीं सकता।

हाँ पुराने जमाने में
यह राजाओं की जरूरत थी
परंतु आज जब
समय प्रजातंत्र का है
अर्थात्
शासकों की ताकत की जगह
जनशक्ति ने ले ली है
फिर क्यों
चारों तरफ जंगली घास की तरह
फैल रही हैं देशों की नयी सीमाएँ।
यह शर्म की बात है
विज्ञान के इस युग में
इस जंगली घास को
मानव खत्म नहीं कर सका है।