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आस्था - 61 / हरबिन्दर सिंह गिल
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हाँ, उसकी झोली भी
फटी हुई है
क्योंकि सड़क पर
किसी धमाके ने
चिथड़े-चिथड़े
कर दिया है
पूरी बस्ती को
और मेरी माँ-मानवता
बीन रही है
बिखरे हुए टुकड़ों को
दिया था जन्म जिन्हें
अपने ही गर्भ से।
डर यही है
ऐसे ही धमाके में
यदि कभी
बस्ती में लगा
यह बिजली का खंभा
उखड़ गया
अंधेरा ही अंधेरा
होकर रह जायेगा
सारी बस्ती में।