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आस्था - 62 / हरबिन्दर सिंह गिल

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शायद सड़क के बिना
मानव की अंतिम यात्रा
अधूरी है
क्योंकि श्मशान को हमेशा
कोई न कोई
सड़क ही जोड़ती है।

सड़कों पर बिखरे
मानव के
ये अनगिनत शव
न जाने किस
श्मशान की ओर
जाने की
कर रहे हैं, प्रतीक्षा
क्योंकि
यह पहचानना
हो गया है दूभर
किस को
जलाया जाए
या किसे
किया जाए दफन।