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आस्था - 69 / हरबिन्दर सिंह गिल

क्योंकि
पहनावे के नाम
पर बंटा हुआ समाज
एक दूसरे को
शंका की निगाहों से
घूर रहा है
और असहाय
होकर रह गई है
अजर-अमर आत्मा
नाशवान शरीर के
झूठे पहनावों
के सीखचों के पीछे।