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आस्था - 79 / हरबिन्दर सिंह गिल

यह बच्चे के भविष्य की
अनिश्चितता है
जो माता-पिता से उनकी
खुशियां छीन लेता है।

यह समुद्र में
तूफान की अनिश्चितता है
जो मछुआरों को
समुद्र में आगे जाने से रोकता है

यह आपस में विश्वास की अनिश्चितता है
जो जीवन-संगी को
अदालत तक ले जाता है
और सबसे खराब
अनिश्चितता का प्रभाव तब होता है
जब वह मनुष्य को
अपने ही पैरों तले कुचलता है।
इससे पहले कि
हिरोशिमा और नागासाकी की विनाश लीला
दोहराई जाए
और अनिश्चितता खुशियां छीन ले
उसको आगे बढ़ने से रोको।
मानव को यह साफ हो जाना चाहिये
उसकी इस धरा पर
रहने की निश्चितता
सिर्फ एक चीज में है
कि वह मानवता को
और ज्यादा
एक वस्तु न समझे।