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आस कहती है कि जायें दूर तक / गीत गुंजन / रंजना वर्मा

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साँस कहती है कि खो जायें कहीं
      आस कहती है कि जायें दूर तक॥

दूर तक फैली हुई खामोशियाँ
दूर तक निस्तब्धता का आवरण।
खो गई कोलाहलों की सभ्यता
दूर तक दूषित हुआ वातावरण।

आँख में सपने रंगीले हैं बड़े
और अँसुआई फिजाएं दूर तक॥
      साँस कहती है कि खो जायें कहीं
      आस कहती है कि जायें दूर तक॥

दूर तक कठिनाइयों के सिलसिले
कामयाबी के उजाले झिलमिले।
दूर की आवाज हिम्मत दे रही
होठ हैं मजबूरियों ने पर सिले।

आँसुओं में एक छवि भूली हुई
और यादों के अँधेरे दूर तक।
मलगिजा एहसास तारी जीस्त पर
और धुंधलाये सवेरे दूर तक॥

      साँस कहती है कि खो जायें कहीं
      आस रहती है कि जायें दूर तक॥

दूर तक महकी हुई अमराइयाँ
दूर तक वीरानियाँ तनहाइयाँ।
झील का पानी रुका ठहरा हुआ
दूर तक सहमी हुई परछाइयाँ।

 जिंदगी एक ख्वाब है सोया हुआ
सिर्फ लंबा रास्ता है दूर तक।
यूं तो साथी हैं कई इंसान के
पर न कोई रास्ता है दूर तक॥

      साँस कहती है कि खो जायें कहीं
      आस कहती है कि जायें दूर तक॥