भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आहट / राजेश शर्मा 'बेक़दरा'
Kavita Kosh से
तुम्हारे आने की
हल्की सी आहट से
धड़कने बिखरने लगती हैं
गजल बनकर
ठीक उसी पल
जिंदगी अपने होने का
अहसास देती है
हाँ ठीक उसी पल
मेरी जिंदगी शुरू होती है!