आहमी साहमी होगे चारों / रणवीर सिंह दहिया
दो पुलिस वालों से आजाद व राजगुरु का आमना सामना मढ़ी में हो जाता है। साधु को अपनी चिन्ता होती है। पुलिस वाले अपने अपने ढंग से इनाम पाने की सोचते हैं। वहां कैसे क्या होता है। क्या बताया भला:
आहमी साहमी होगे चारों एक पल तक आंख मिली॥
न्यारे न्यारे दिमागां मैं न्यारे ढाल की बात चली॥
साधु सोचै फंसे खामखा यो आजाद मनै मरवावैगा
आजाद सोचै दोनूं पुलिसिया क्यूकर इनतै टकरावैगा
एक सिपाही सोचै आजाद पै इनाम तै थ्यावैगा
दूजा सोचै नाम हो मेरा इनाम सारा मेरे बांटै आवैगा
के तूं आजाद सै सुण कै बी चेहरे पै उसके हंसी खिली॥
नहीं चौंक्या आजाद जमा सादा भोला चेहरा बनाया
साध्ुा तो हमेशा आजाद हो सै कोए भाव नहीं दिखाया
पुलिसिया कै शक होग्या पुलिस थाने का राह बताया
हनुमान की पूजा करनी हमनै वार हो बहाना बनाया
दरोगा तै हनुमान बडडा कैहकै उसकी थी दाल गली॥