आहे-फ़लक-फ़ुग़न1 तेरे ग़म से कहाँ नहीं
जो फ़ितनाख़ेज़2 अब है ज़मीं आसमाँ नहीं
कहना पड़ा मुझे पये-इल्ज़ाम-पंद-गो3
वह माजरा जो लायक़े-शरह-ओ-बयाँ नहीं
डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
सैयाद की निगाह सू-ए-अशियाँ नहीं
बातें तेरी वह होश-रुबा हैं कि क्या कहूँ
जो कोई मेरा राज़दाँ है मेरा राज़दाँ नहीं
बे-सरफ़ा-जाँकनी4 का मेरा कुछ तो हो हुसूल
मेहनत किसी की आज तलक रायगाँ6 नहीं
करते वफ़ा उम्मीदे-वफ़ा पर तमाम उम्र
पर क्या करें कि उसको सरे-इम्तिहाँ7 नहीं
मैं अपनी चश्मे-शौक़8 को इल्ज़ाम ख़ाक दूँ
तेरी निगाह शर्म से क्या कुछ अयाँ9 नहीं
इतने-सुबुक10 नज़र में है अवज़ाअ-रोज़ग़ार11
दुनिया की हसरतें मेरे दिल पर गराँ12 नहीं
शब्दार्थ:
1. आसमान हिला देने वाली सदाएँ, 2. कलहकारी, 3. उपदेशक के इल्ज़ामों के लिए, 4. बेवजह प्राण संकट में डालना, 5. हित, 6. तबाही, 7. परीक्षा लेनी की उत्सुकता, 8. कामनारूपी नेत्र , 9. प्रयत्क्ष, 10. हल्के, 11. दुनिया की दशा, 12 बोझल