भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आहो गदाधारी नजरिया तनी फेरी / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
आहो गदाधारी नजरिया तनी फेरी,
भगत सब करेलें पुकार कर जोरी।।
लागल बाटे आस दरसन होई कब तोरी,
नजरिया तनी फेरी।।
बल के निधान हई विद्या के आगर,
हमरा के बनाई नाथ पऊआँ के चाकर,
आठो सिद्ध नवो निधि के हईं दाता,
रउए हईं माता-पिता रउए जनम दाता,
नजरिया तनी फेरी।।
सुनीले की ढेर रउरा पतितन के तारी,
हमनीं के बेरी काहे कइले बानी देरी,
द्विज महेन्द्र कहे नाथ बाटे मति थोरी,
दरसन दे दीहीं तनी कहीं कर जोरी।
नजरिया तनी फेंरी।। आहो गदाधारी।