भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आह/दोस्ती(मुक्तक)/रमा द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


किसी की भावनाओं से,कभी खिलवाड़ मत करना,
अगर न कर सको तुम प्यार का इकरार मत करना,
भस्म हो जाता लोहा भी मृतक की आह भरने से,
किसी की आह लग जाए,कभी वो बात मत करना।



किसी की दोस्ती के बीच काँटे मत बिछाना तुम,
अगर कुछ कर सको करना,सरल राहें बनाना तुम,
बड़ा तकदीर वाला वो जिसे इक दोस्त मिल जाए,
किसी की दोस्ती को देख दिल को मत जलाना तुम।