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आ, गिन डालें नभ के तारे / हरिवंशराय बच्चन

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आ, गिन डालें नभ के तारे!

मिलकर हमको खींच रहे जो,
श्रम-सींकर से सींच रहे जो,
कण-कण उस पथ का पड़ने को जिसपर हैं पद बद्ध हमारे!
आ, गिन डालें नभ के तारे!

उठ अपने बल पर घमंड कर,
देख एक मानव के ऊपर
आवश्यक शासन करने को कितने चिर चैतन्य सितारे!
आ, गिन डालें नभ के तारे!

देख मनुज की छाती विस्तृत,
दग्ध जिसे करने को संचित
किए गए हैं अंबर भर में इतने चिर ज्वलंत अंगारे!
आ, गिन डालें नभ के तारे!