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आ गया मधुमास तो महकीं हुई है चाँदनी / रंजना वर्मा

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आ गया मधुमास तो महकीं हुई है चाँदनी
चाँद के आगोश में बैठी हुई है चाँदनी

रातरानी खिल रही चलने लगी ठंढी हवा
सरसराते पात सब निखरी हुई है चाँदनी

प्यार सन्दल की महक से नाग ने मानो किया
नारियल के पेड़ से लिपटी हुई है चाँदनी

आसमाँ से लूक गिरते हैं सितारे टूटते
भूमि के आँचल तले सहमी हुई है चाँदनी

जलजला आया ज़मीं टुकड़ों में जैसे बंट गयी
दाग़ आया चाँद पर मैली हुई है चाँदनी

मुफ़लिसी ऐसी कि घर मे है नहीं चूल्हा जला
चाँद में रोटी दिखा झूठी हुई है चाँदनी

क्या कहें उन को जिन्होंने बाँट घर आँगन दिया
आज टुकड़ों में बंटी रूठी हुई है चाँदनी