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आ गया हूँ देख माँ तेरी शरण / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
आ गया हूँ देख माँ तेरी शरण।
दिख रहा है आसमाँ तेरी शरण।।
हो अगर अवगुण उसे तो माफ कर।
मांगते हैं नित क्षमा तेरी शरण।।
हो तुम्हीं दुर्गा काली सरस्वती।
ज्ञान रूपी धन जमा तेरी शरण।।
भगवती हो, हो जगत कल्यायणी।
है सभी इंतजाम माँ तेरी शरण।।
सृष्टि की रचना की तू आधार हो।
हर किसी की आत्मा तेरी शरण।।