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आ गयी फिर है इस बार दीपावली / रंजना वर्मा

आ गयी फिर है इस बार दीपावली।
सज गयी आज हर द्वार दीपावली॥

रात काली बहुत है मगर क्या हुआ
ले पहन दीप के हार दीपावली॥

होलिका जिस दिवस नफ़रतों की जली
बाँट तब से रही प्यार दीपावली॥

सत्य अँगड़ाइयाँ ले रहा नींद से
स्वप्न का एक उपहार दीपावली॥

जोड़ लें टूटते बंधनों को चलें
बस बने प्यार ही प्यार दीपावली॥

चंद्र का दीप नभ में कहीं खो गया
कर रही आज उजियार दीपावली॥

चाँदनी दुश्मनी कर दहकने लगे
तो बने मूक अभिसार दीपावली॥