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आ गये बादल / सूर्यकुमार पांडेय
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लगे झींगुर बजाने वॉयलिन,
लो आ गये बादल।
छतों पर गिर रहीं बूँदें
कि जैसे थाप तबलों की,
कि होता तिनक-ता-ता धिन
गगन में छा गये बादल।
छमाछम बरसता पानी
कि जैसे खनकती पायल,
फुहारों से भरे हैं दिन
सभी को भा गये बादल।
लगे हैं राग में गाने
सभी तालाब के मेढक,
भरे संगीत से पल-छिन
हमें बतला गये बादल।