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आ जा अब तो आ जा / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
आ जा अब तो आ जा
मेरी क़िस्मत के ख़रीदार
अब तो आ जा..
नीलाम हो रही है
मेरी चाहत सर-ए-बाज़ार
अब तो आ जा..
सब ने लगाई बोली, ललचाई हर नज़र
मैं तेरी हो चुकी हूँ दुनिया है बेख़बर
ज़ालिम बड़े भोले हैं, मेरे ये तलबगार
अब तो आ जा...
हसरत भरी जवानी, ये हुस्न ये शबाब
रँगीन दिल की महफ़िल मेरे हसीन ख़्वाब
गोया कि मेरी दुनिया लुटने को है तैयार
अब तो आ जा...