भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आ जा आई बहार दिल है बेकरार / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
आ जा आई बहार, दिल है बेक़रार
ओ मेरे राजकुमार, तेरे बिन रहा न जाए
आ जा आई बहार, दिल है बेक़रार
ओ मेरे राजकुमार, तेरे बिन रहा न जाए
आ जा
जुल्फ़ों से जब भी, चले पुरवाई
तन मेरा टूटे
आयी अंगड़ाई
देखूँ बार बार, तेरा इन्तज़ार
ओ मेरे राजकुमार, तेरे बिन रहा न जाए
आ जा आई ...
मन मे सुनू मैं, तेरी मुरलिया
नाचूँ मैं छम-छम
बाजे पायलिया
दिल का तार-तार, तेरी करे पुकार
ओ मेरे राजकुमार, तेरे बिन रहा न जाए
आ जा आई ...
जल की मछरिया, जल मे है प्यासी
खुशियों के दिन हैं
फिर भी उदासी
लेकर मेरा प्यार, आ जा अब के बार
ओ मेरे राजकुमार, तेरे बिन रहा न जाए
आ जा आई ...