आ जा कि निगाहों ने मेरी तुझ को चुना है
ना जाने तुझे देख के दिल को क्या हुआ है
कब से मैं निहारूँ तेरा रस्ता ओ साँवरे
है शुक्र खुदा का कि मुझे तू यों मिला है
तू साथ हमेशा है रहा दीन-जनों के
है सच वह हरिक बात जो लोगों से सुना है
सुन ले तू दिल का दर्द हमें चैन तो मिले
लेकिन न कही जाये जो ये ऐसी दुआ है
मिट जाता जो है वक्त के सागर की लहर से
उँगली से ही हर बार वही नाम लिखा है
घनश्याम समाया है तू जब से मेरे दिल में
मैं ने भी किसी और का कब ध्यान किया है
जब जब है पुकारा तुझे विपदा में पड़ा जो
मनमोहना तू ने सभी का साथ दिया है