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आ बैठ बात करां - 2 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
आ बैठ/बात करां
जठै-जठै
खाली रैया
बठै-बठै
भरां
काळ री
कूख में बैठ
सोनलियौ जीवण
जीयां
आभै में
उडार भर
बादळ रो पाणी
पीयां
पतझड़ री
छाती पर
पग धर पूगां
बसंत रै घरां
आ बैठ
बात करां
प्रीत रा
गीत गावां
जीत रा
गीत गावां
काळ कमजोर है
आपणै सूं
आ !
दोनूं मिल‘र
डरावां
अर जे मरां
तो मौत नै
लेय‘र मरां
आ बैठ
बात करां