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आ बैठ बात करां - 3 / रामस्वरूप किसान

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आ बैठ/बात करां
एक-दूजे रो
पसीना पूंछ
ठंडे बायरियै रौ
परस भोगां

नेतरै रौ
एक सिरो
पकड़ बावळी !
समंदर बिलोवां

पैलां जै‘र
पछै इमरत
पीयां

किणी षिवजी रा
पग क्यूं पकड़ा
जीयां तो
खुद रै बूतै
जीयां

फूल तोड़ा
अर कांटां सूं डरां ?

आ बैठ
बात करां।