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आ बैठ बात करां - 6 / रामस्वरूप किसान
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आ बैठ/बात करां
हथाळी पर हथाळी मा‘र
खिलखिलावां
आमण-दूमणै खिणां री
मजाक उडावां
कंठ सूं कंठ मिला
कोई गीत उगेरां,
जीवन-राग अलापां
दो ई डग तो है
धरती आपणां
एक थूं भर
एक म्हैं
नापां
मौत रौ पूंछ पकड‘र
भूंवा बावळी !
ईं री सांकळ
ढीली करां,
दांत तोड़ां,
गाली फोड़ां
पछै जीवन री
ओखद भरां
आ बैठ/बात करां।