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आ रहा हूँ पास तेरे दिल मचलता है / कैलाश झा 'किंकर'

आ रहा हूँ पास तेरे दिल मचलता है
तेरी मेरी ज़िन्दगी का एक रस्ता है।

चार आँखें हो गयीं तो मन हुआ चंचल
जुस्तजू में पाँव आगे ख़ुद ही बढ़ता है।

हर जवानी की कहानी एक-सी होती
यार से मिलने को दिल बेचैन रहता है।

ज़िन्दगी भर तुम मुहब्बत को निभा दोगी
मैं नहीं कहता मेरा विश्वास कहता है।

जब से किल्लत प्रेम की होने लगी यारो
तब से मेरी ग़ज़्ल में ही प्रेम बसता है।