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आ सगुन के पतरा उचारीयौ / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आ सगुन के पतरा उचारीयौ
सगुन देखियो सभ हलतिया।
एत्तेक बात जे रानी सुनै छै।
साँमरवती कोहबर घरमे।
गाय गोबर लऽकऽ अंगना नीपै छै
सवा हाथ धरतीजे नीपि गेल।
पतरा लऽकऽ रानीया बैठै छै।
सगुन के पतरा हौ रानी उचारै छै।
सगुन देखै अय जुलुम बीतै छै
यार अन्हेरबाट बान्हल गेलै।
तबे जवाब आइ रानीया दैइयह।
सुनऽ सुनऽ हौ सुग्गा हीरामनि।
हजमा गेलै तीसीपुरमे
आ बान्हल गेलै तीसपुरमे।
दोसर अगुआ गेलै अन्हेरबाट
यार अन्हेरबाट सेहो बान्हल गेलै।
केना के ब्याह हौ मोती के हेतऽ
हम सतखोलियामे ननदि बसै छै
ओकरे जाँघि हौ जनमल भगीना
आगा जनीयौ आगू मँगबीयौ सतखोलियामे।
आ भागीन करिकन्हा के मँगा के
सुनऽ सुनऽ हौ दिल के वार्त्ता
जल्दी जइयौ सतखोलियामे।
खबरि जना दय भागीन जी के।
सब वीर महिसौथा ओरेलै।
आ जल्दी मँगाके भगीना के लाबि दियौ यौ।