भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आ सुग्गा हीरामनि अगुआ बौआ / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आ सुग्गा हीरामनि अगुआ बौआ
जुमि गेलैया
एत्तेक बात करिकन्हा सुनैय
सव हाथी के टेंना पर छोड़ैय
आ अस्सी मन के आंकुश लै छै
भागल करिकन्हा ड्योढ़ीमे जुमलै
झूकि सलाम हौ सुग्गा के करैय।
आ ताबे हौ नजरि सुग्गाा के पड़ि गेल
करिकन्हा के सब कहलकै।
अस्सी मन के आंकुश लेलकै
जतरा जइ दिन महिसौथा करलकै।
हौ सुग्गा हौ हीरामनि पंछी रूपमे।
उड़ि जब गेलै।
आगू भऽ कऽ महिसौथा जुमलै
झूकि सलाम साँमैर के केलकै।
हा सब हौ खबरिया साँमैरके कहै छै।
सुनियौ सुनियौ सुनियौ रानी
हा भागीन करिकन्हा भागल अबै छह।
एही जे समयमे करिकन्हा जुमलै।
झूकि सलाम साँमैर के केलकै।
सुनऽ सुनऽ हय मामी सुनीलय।
दिल के वार्त्ता हमरा कहीयौ।
कीये कारण सुग्गा के भेजलह।
आ एकरो खबरिया सुगना की कहलकैय
एकरो हलतिया गय मामी कहिदय।
की तोरा घटि गेलौ अनधन सोनमा
की पाकल वीर पान मामी घटलौ।
गय कौन दुश्मन तोरा की कहलकौ
किय जरूरी गय मामी पड़ि गेल
एकक वीर हमर मामा जनमल
सात सय पाठा महिसौथामे खेलबै छै
दोसर वीर मैया कोंखिमे जनमली
सात सय गै हाथी टेंना पर चराबै छी