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इंतज़ार-2 / नीरज दइया

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प्रेम होने पर
तुम्हे कहा मैंने-
प्रेम एक कुआं है,
जिसमें गिर पड़ा हूं मैं
या प्रेम एक पहाड़ है
जिस पर चढ़ गया हूं मैंै।

तुमने कहा-
मैं हूं अभी जमीन पर
और रहना चाहती हूं-
इसी जमीन पर।

मैंने कहा-
मैं इंतजार करूंगा।