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इंतज़ार / कविता कानन / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
द्वार पर खड़ी हो
पलक पांवड़े बिछाये
कर रही हूँ
तुम्हारा इंतज़ार
अनवरत ।
जीवित है
मेरा विश्वास
साँस ले रही है
उम्मीद
धड़क रहा है
मेरा दिल
जानती हूँ
आओगे तुम
एक दिन
जरूर
मेरी मृत्यु से पूर्व ....