भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इंद्रधनुष का देश / अभिमन्यु अनत
Kavita Kosh से
नीले समुद्र का दूधिया किनारा
अमरीकी सैलानी के साथ साँवली वेश्या
मुँहबाए जापानी कैमरा
जींस की जेब में अकुला रहे
हरे-भरे डालर
आगे फैला पीला हाथ भिखारी का
खाली का खाली
चमचमाती सफेद रेत पर पसरे
गेहुँए उरोज / गुलाबी जाँघें
टहल रहे मनचलों की पिपासित आँखें
मछुओं के बच्चों की काली मुसकानें
वाटर-स्की से चिरी छाती लहरों की
उन्हें कराहते छोड़ झागों में
नारंगी क्षितिज से
भाग गया सूरज ।