इंद्रधनुष बोने से पहले / अवनीश त्रिपाठी
धरती के मटमैलेपन में
इंद्रधनुष बोने से पहले,
मौसम के अनुशासन की
परिभाषा का विश्लेषण कर लो
उल्काओं के अर्थबोध पर
नभ से तो संपर्क बना लो,
धूप रेत को नियति मानकर
मत यथार्थ का गुम्फन पालो
स्वर्ग निरन्तर उत्सव में है
मृत्युलोक का चित्र गढ़ो जब
वर्तमान की कूँची पकड़े
आशा का अन्वेषण कर लो
मिट्टी के संशय को समझो
ग्रन्थों के पन्ने तो खोलो,
तर्कशास्त्र के सूत्रों पर भी
सोचो-समझो कुछ तो बोलो
हठधर्मी सूरज के सम्मुख
फिर तद्भव की पृष्ठभूमि में
जीवन की प्रत्याशा वाले
तत्सम का पारेषण कर लो
महाकाल ने सौंपी हैं जो
संभ्रम की सत्ताएँ देखो,
अंतरिक्ष के मानचित्र पर
मौन हुईं शंकाएँ, देखो,
गीली प्यास लिये मुट्ठी में
औंधे पड़े मरुस्थल के घर
बिना अर्थ की संज्ञा वाला
बौना एक विशेषण कर लो