इंसान तो इंसान है मजहब कोई नहीं
दिल सभी का दोस्त है देरो1 हरम2 नहीं
कोई नहीं अजान न मंदिर की घंटियां
दो बोल प्यार के किसी से कम नहीं
इंसान के दिमाग से कुछ काम निकलता है
और इस अजीज-सा कोई वतन नहीं
इंसान तो इंसान है मजहब कोई नहीं
दिल सभी का दोस्त है देरो1 हरम2 नहीं
कोई नहीं अजान न मंदिर की घंटियां
दो बोल प्यार के किसी से कम नहीं
इंसान के दिमाग से कुछ काम निकलता है
और इस अजीज-सा कोई वतन नहीं