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इंसान होने का अर्थ / बाल गंगाधर 'बागी'
Kavita Kosh से
हमारे इंसान होने का अर्थ
तुम्हारे शब्दावली में जानवर भी नहीं
क्योंकि उसकी भी तुम पूजा करते हो
अपना सर उसके पैर पर रखते हो
हमें बद से बदतर समझकर
पैर नीचे रौंदकर
हमारी किस्मत लिखते हो
आज हमारे हाथ कलम हैं
मैं इससे किस्मत नहीं
इतिहास लिखूंगा
तुम्हारे खूनी दरिंदेपन का
दस्तावेज लिखूंगा
तुम्हारे कूटनीति का
कटु सत्य लिखूंगा
क्योंकि मैं!
दलित नहीं इंसान हूँ
इसीलिये बाग़ी हूँ...